2016 एक ऐसा साल था, जब मैंने और मेरी पत्नी रोज़ा, जो SoCreate की सीएफओ भी हैं, ने 2003 में हमारे कपल बनने के बाद से सबसे कम फिल्में देखी थीं। ऐसा इसलिए नहीं क्योंकि फ़िल्मों के लिए हमारा प्यार ख़त्म हो गया था। बल्कि, ये हमारी ज़िन्दगी का एक और शानदार पल था, क्योंकि इस साल हमारे जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ था। यह साल मेरे लिए धुंधला थोड़ा है, और मैंने उतनी ज़्यादा थकान कभी महसूस नहीं की जितनी 2016 में की थी। फिर भी, हमने किसी तरह से कुछ शानदार फ़िल्में देखने के लिए समय निकाल लिया था। यहाँ उन कुछ सबसे अच्छी फ़िल्मों के बारे में बताया गया है, जो मुझे बहुत पसंद आयीं, साथ ही, इस पोस्ट के अंत में मेरी सबसे पसंदीदा फ़िल्मों के बारे में जानना न भूलें।
अब 2016 की फ़िल्मों पर आते हैं।
सूची पर जाने से पहले, कृपया निम्नलिखित पर ध्यान दें:
हमने ये फ़िल्में 2016 में देखी थीं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि ये 2016 में रिलीज़ हुई थीं।
इस सूची के अंत में, मैं आपको अपनी राय और अपनी पसंदीदा फ़िल्मों के बारे में बताऊंगा।
यहाँ पर फ़िल्मों को सबसे ज़्यादा संयुक्त रेटिंग से सबसे कम रेटिंग के क्रम में रखा गया है, और देखने या रिलीज़ के दिन से क्रमबद्ध नहीं किया गया है।
मेरी राय
2016 की मेरी सबसे पसंदीदा फ़िल्म "स्पॉटलाइट" है। इसे बेहतरीन तरीके से बनाया गया था, और यह एक मुश्किल विषय पर केंद्रित थी, जो कई सालों से रहस्य के अँधेरे में छिपा हुआ था। इस फ़िल्म की कहानी बहुत तेज़ी से आगे बढ़ती है और बेहद मनोरंजक है, और यह आपके अंदर बस जाती है। इसी तरह, "रूम" देखने के बाद, मैं कई दिनों तक परेशान हुआ था। उन बेचारे लोगों के बारे में सोचकर भी बुरा लगता है, जिन्होंने क़ैद में होने का अनुभव किया था। भावनात्मक दृष्टिकोण से इस फ़िल्म को देखना मुश्किल था, इसलिए यह मेरी सूची में पहले नंबर पर नहीं है। ये दोनों फ़िल्में मुश्किल विषयों को शामिल करती हैं, लेकिन "रूम" आपको अंदर तक काट देती है। किसी हल्की-फुल्की फ़िल्म की बात करें तो सैन लुइस ओबिस्पो अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म फ़ेस्टिवल में रोज़ा और मुझे "लाइव्स वेल लिव्ड" नामक स्थानीय रूप से शूट गयी डाक्यूमेंट्री फ़िल्म देखने का मौका मिला, जो मुझे बहुत प्रेरणादायक लगी। यह बूढ़े लोगों की ज़िन्दगी पर केंद्रित है, जो उस उम्र में भी ऐसे काम करते हैं, जिनके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता। यह फ़िल्म सिखाती है कि बूढ़े होने का मतलब यह नहीं है कि आप बिल्कुल धीमे हो जाएँ और ज़िन्दगी को पूरी तरह से जीना छोड़ दें। मैं सबको यह फ़िल्म देखने की सलाह दूंगा। इसके अलावा, और भी बहुत सारी अच्छी फ़िल्में हैं, जैसे "द बिग शॉर्ट," "द रेवेनेंट," "हेल ऑर हाई वॉटर," और "अराइवल।" अगर आपने ये फ़िल्में नहीं देखीं तो आप इन्हें देख सकते हैं।
अगले महीने मिलते हैं,