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माध्यम चाहे जो भी हो - पटकथा लेखन, उपन्यास लेखन, या यहाँ तक कि निबंध - कहानी सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। अच्छी कहानी के बिना आपके पास क्या होता है? अच्छे किरदार रोचक हैं, लेकिन वो कहाँ जा रहे हैं? आपने जो दृश्य सेट किया है वो बहुत खूबसूरत है, लेकिन उसमें हो क्या रहा है? आपको अपने दर्शकों को इस बात पर ध्यान देने के लिए मजबूर करना पड़ता है कि क्या चल रहा है, और आप वो कहानी के माध्यम से करते हैं जो उन्हें आकर्षित करती है और उनकी दिलचस्पी जगाती है। तो, अच्छी कहानी कैसे बनती है? आज, मैं आपको इसके ज़रुरी भागों के बारे में बताने वाली हूँ।
एक पूरी तरह से स्वरूपित पारंपरिक स्क्रिप्ट निर्यात करें।
आपको संघर्ष की ज़रुरत होती है! नाटक कम करके ख़ुद को धोखा देने की कोशिश न करें। संघर्ष और चुनौतियाँ किसी भी अच्छी कहानी के लिए सबसे ज़रुरी हैं। अगर किसी किरदार को वो चीज़ तुरंत मिल जाती है जो वो चाहता है तो आपकी कहानी फीकी पड़ जाती है। याद रखें, संघर्ष बाहरी और आंतरिक चुनौतियों दोनों से आ सकता है, जिसके बारे में सोचना तब और मददगार हो सकता है जब आपकी कहानी नाटक पर ज़ोर देती है।
अगर आप कुछ कॉमेडी लिख रहे हैं तो इसका यह मतलब नहीं है कि इसमें नाटक नहीं होना चाहिए! कोई भी कॉमेडी फ़िल्म उठाकर देख लें, और आपको पता चलेगा कि कॉमेडी किरदारों की संघर्षपूर्ण परिस्थितियों से बनती है।
आपका हुक क्या है? आपकी कहानी में ऐसी कौन सी चीज़ है जो दर्शकों को सिनेमाघर में लाएगी? आपकी कहानी में ऐसा क्या है जो इसे सबसे अनोखा और अलग बनाता है? एक मजबूत हुक अपनी कहानी को बेचने और इसमें रूचि जगाने का सबसे अच्छा तरीका है।
ऐसी बहुत सारी अलग कहानियां हैं जिन्हें अच्छी कहानियां माना जाता है। अपने विशेष दृष्टिकोण के बावजूद ये सभी कहानियां किसी न किसी तरीके से लोगों से जुड़ने में कामयाब हुई हैं। उन सबका विषय व्यापक है जिससे हर कोई ख़ुद को जोड़ सकता है, जैसे, "कहीं फिट न हो पाना," "अपना परिवार खोजना," या "अच्छाई बनाम बुराई।" अपनी अनोखी कहानी के बड़े जुड़ाव वाले हिस्से को पहचानने और उससे खेलने से आपको ज़्यादा बड़ी मात्रा में दर्शकों तक पहुँचने में मदद मिल सकती है। जैसे, "स्लमडॉग मिलेनियर" मुंबई की झोपड़पट्टी में स्थापित बहुत अलग कहानी है। समाज और वर्ग, समाज के ऊँचे स्तर, और परिस्थितियों से भागने जैसे सर्वव्यापक विषयों की वजह से, फ़िल्म विविध दर्शकों तक पहुँच पायी और लोग ख़ुद को इससे जोड़ पाए। पृष्ठभूमियां और संस्कृति चाहे कितनी भी अलग हो, कई एहसास सर्वव्यापक होते हैं।
ठोस कहानियों के सभी किरदार असली लोगों जैसे काम करते हैं और असली लगते हैं। अगर आप इस विचार को बेच पाते हैं कि आपके किरदार इस वक़्त दुनिया में कहीं न कहीं हो सकते हैं तो इससे बहुत मदद मिलेगी। अपने किरदारों के लिए एक व्यापक बैकस्टोरी सोचें, चाहे उसे आपकी पटकथा में जगह मिले या न मिले। आपको अपने किरदार की प्रेरणाओं को ज़्यादा अच्छे से समझना होगा, और किरदार का इतिहास पता होने पर उन्हें वास्तविक और सम्पूर्ण दृष्टिकोण के साथ लिखने में मदद मिलेगी।
ज़ाहिर तौर पर, अंत मजबूत होना चाहिए। अपनी कहानी के अंत पर पहुँचने तक, दर्शकों को यह महसूस होना चाहिए कि 1) कहानी का कोई मतलब है, 2) चीज़ें एक साथ आ गयी हैं, और 3) जब वो शुरुआत को देखें तो उन्हें यह पता चल सके कि कैसे सारी चीज़ें शुरू हुई थी, फिर बीच में पहुँची, और कहानी का अंत बनाने के लिए एक साथ आकर जुड़ गयीं। ठोस अंत का मतलब है, लिखना शुरू करने से पहले ही बहुत सारी योजना बनाना, ख़ासकर अगर आप अपनी पटकथा में मोड़ लिख रहे हैं तब यह और ज्यादा ज़रुरी हो जाता है। लिखते हुए अपनी कहानी में नयी चीज़ों का पता चलने पर, ज़ाहिर तौर पर, ज़रुरत पड़ने पर आप इसे समायोजित कर सकते हैं।
जहाँ एक मजबूत कहानी के कई भाग होते हैं, वहीं अक्सर, जो सबसे अच्छी कहानी आप बता सकते हैं वो वही कहानी होती है जिसे केवल आप बता सकते हैं, आपके अलावा और कोई नहीं। आपका नजरिया अलग है, इसलिए किसी और की तरह लिखने की कोशिश न करें क्योंकि फिर आप अपने बहुत अच्छे सेलिंग पॉइंट से चूक जाएंगे। प्रेरणा के लिए ख़ुद को और अपने ख़ुद के अनुभवों को देखें। अपनी कहानियों को मजबूत बनाने के लिए उन अनुभवों का प्रयोग करें जिनसे आप गुजरे हैं और उन्हें अपनी कहानियों में बुनें। दर्शक ज़्यादातर सच्चाई देखना पसंद करते हैं, और सच्चाई से हमेशा अच्छी कहानी बनती है! लिखने के लिए शुभकामनाएं!