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हाउस ऑफ़ कार्ड्स -
ब्यू विलिमॉन द्वारा निर्मित "हाउस ऑफ़ कार्ड्स" के पहले सीजन के सारे एपिसोड्स 2013 में आज ही के दिन नेटफ्लिक्स पर आये थे। विलिमॉन को इसका आईडिया 1990 के इसी नाम के BBC मिनी सीरीज़ से आया था, जो यूके की राजनीति पर आधारित थी। मीडिया राइट्स कैपिटल ने "हाउस ऑफ़ कार्ड्स" के अधिकार ख़रीदकर, इसका आईडिया शोटाइम और HBO सहित, कई नेटवर्क्स के सामने पिच किया था। लेकिन, नेटफ्लिक्स ने यह कहकर सबसे ज़्यादा बोली लगायी कि इसके दर्शकों के डेटा के आधार पर इस तरह की कहानी, कलाकार, और कर्मचारी उसकी मूल प्रोग्रामिंग के लिए सबसे उपयुक्त हैं। विलिमॉन को वॉशिंगटन, डीसी की राजनीति के सार को समझने की उनकी क्षमता के लिए काम पर रखा गया था, जो सीनेटर चक शुमेर और हिलेरी क्लिंटन के सहयोगी थे। पहले चार सीजन के लिए वो शोरनर भी रहे। यह शो आउटस्टैंडिंग ड्रामा सीरीज़ आदि सहित, प्रमुख एमी अवॉर्ड्स के लिए नॉमिनेट होने वाली पहली ओरिजिनल ऑनलाइन-ओनली सीरीज़ थी। यौन दुराचार के आरोपों की वजह से इसका अंतिम सीजन प्रमुख अभिनेता केविन स्पेसी के बिना ही निर्मित किया गया था।
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ला डोल्चे वीटा -
"द स्वीट लाइफ" का इतालवी "ला डोल्चे वीटा" 61 साल पहले आज ही के दिन प्रीमियर हुआ था और अब इसे आज तक की सबसे अच्छी फ़िल्मों में से एक के रूप में जाना जाता है। लेकिन इसके लेखकों ने पारंपरिक तीन या पांच अंक वाली संरचना का पालन नहीं किया था, और इस पारंपरिक सोच को किनारे कर दिया था कि पटकथा लेखकों को इन कड़े नियमों का पालन करना चाहिए। फेडेरिको फेलिनी, एनियो फ्लैियानो और टुलियो पिनेली द्वारा लिखित, यह फ़िल्म रोम में एक पत्रकार के सात दिन और कई औरतों के साथ उसके प्रेम-प्रसंग की कहानी पर केंद्रित है। प्रस्तावना और उपसंहार के अलावा इसके सात "एपिसोड" हैं। कुछ आलोचकों को इसकी संरचना या यूं कहें तो इसकी कमी पसंद नहीं आयी, लेकिन यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर बहुत सफल हुई थी। 1960 में कांस में इसे पाम डी'ओर और सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम्स का ऑस्कर मिला था।
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द जनरल -
1927 में "द जनरल" आज ही के दिन आयी थी। यह साइलेंट कॉमेडी फ़िल्म बस्टर कीटन ने क्लाइड ब्रुकमैन, अल बोसबर्ग, चार्ल्स हेनरी स्मिथ के साथ मिलकर लिखी थी, जिन्होंने इसे सह-निर्देशित किया था और इसमें अभिनय भी किया था। कीटन द ग्रेट लोकोमोटिव चेस की सच्ची कहानी से प्रेरित थे जो अमेरिका के सिविल वॉर के दौरान हुई थी, और उन्हें ट्रेन्स बहुत पसंद भी थीं। निर्माण के दौरान ट्रेन, सहायक कलाकारों, बड़े-बड़े सेट और कई दुर्घटनाओं की वजह से फ़िल्म का बजट $750,000 तक पहुँच गया था जो उस समय के लिहाज़ से बहुत ज़्यादा था। आलोचकों और दर्शकों को उस समय यह फ़िल्म इतनी ज़्यादा बुरी लगी कि उन्होंने इसे फ्लॉप तक कह दिया था। लेकिन लगभग एक सदी बाद, दर्शकों ने अपनी सोच बदल दी है, और अब इसे मूक फ़िल्म के युग की क्लासिक फ़िल्मों में से एक माना जाता है।
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द किड -
चार्ली चैपलिन ने मूक कॉमेडी-ड्रामा फ़िल्म "द किड" लिखी, निर्मित, निर्देशित की थी और इसमें अभिनय भी किया था, जो 100 साल पहले आज के दिन आयी थी। 1921 में यह दूसरी सबसे अधिक कमाई करने वाली फ़िल्म थी और इसे संयुक्त राज्य अमेरिका की राष्ट्रीय फ़िल्म रजिस्ट्री में संरक्षित किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह चैपलिन की सबसे व्यक्तिगत कृतियों में से एक है, और एक छोड़े हुए बच्चे और उसके दत्तक पिता की कहानी के रूप में कॉमेडी और ड्रामा का बेहतरीन समावेश करती है। "द किड" का निर्माण शुरू होने से ठीक दस दिन पहले चैपलिन के पहले बच्चे की मौत हो गयी थी। फ़िल्म की शुरुआत में लिखा जाता है, "अ पिक्चर विद अ स्माइल – एंड परहैप्स, अ टियर।"
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पिनोकियो -
बच्चों के इतालवी उपन्यास पर आधारित "पिनोकियो" के डिज्नी अनुकूलन में टेड सीयर्स, ओटो इंग्लैंडर, वेब स्मिथ, विलियम कॉटरेल, जोसेफ सबो, एर्डमैन पेनर, और ऑरेलियस बैटागलिया सबने अपना योगदान दिया था। स्नो व्हाइट एंड द सेवेन ड्वार्फस की सफलता के बाद, यह फ़िल्म डिज्नी की दूसरी एनिमेटेड फ़िल्म थी। हालाँकि, शुरुआत में यह फ़िल्म बुरी तरह पीट गयी थी, लेकिन अब इसे अपने अभूतपूर्व और यथार्थवादी एनीमेशन प्रभावों की वजह से आज तक की सबसे अच्छी एनिमेटेड फ़िल्मों में से एक माना जाता है। दूसरे विश्व युद्ध की वजह से उस समय इस फ़िल्म को विदेशी बाज़ारों में वितरित नहीं किया जा सका था। पांच साल बाद दोबारा रिलीज़ होने के बाद आख़िरकार इस फ़िल्म ने मुनाफा कमाया।
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टैक्सी ड्राइवर -
पटकथा लेखक पॉल श्रेडर ने "टैक्सी ड्राइवर" की पटकथा लिखी थी, जो 1976 में आज ही के दिन प्रीमियर हुई थी। अपनी मनमोहक कहानी और दर्शकों को सपने जैसी अवस्था में ले जाने की अपनी क्षमता के कारण, अब तक, विशेषज्ञ इस फ़िल्म को आज तक की निर्मित सबसे अच्छी फ़िल्मों में से एक मानते हैं। रॉजर एबर्ट ने अपने एक साक्षात्कार में इसे आज तक की बनी सबसे अच्छी फ़िल्मों में से एक कहा था। यह साइकोलॉजिकल थ्रिलर एक पूर्व सैनिक ट्रैविस बिकल पर केंद्रित है, जो अपनी अनिद्रा की समस्या और बढ़ते हुए पागलपन से निपटने के लिए रात के समय टैक्सी की शिफ्ट ले लेता है। वो राष्ट्रपति पद के एक उम्मीदवार और छोटी उम्र की वेश्या के दलाल को मारने की साजिश रचता है। इस फ़िल्म की कहानी न्यूयॉर्क शहर में रहते समय उनकी अपनी अनिद्रा की समस्या और आर्थर ब्रेमर की डायरी पर आधारित है। आर्थर ब्रेमर ने 70 के दशक की शुरुआत में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार, जॉर्ज वालेस, की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस फ़िल्म को मार्टिन स्कॉर्सेस ने निर्देशित किया था।
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गुड बाय, लेनिन! -
जर्मन ट्रेजिकॉमेडी "गुड बाय, लेनिन!" 2003 में आज ही के दिन रिलीज़ हुई थी, जिसे अकम वॉन बोरिस, हेंक हैंडलोएगटेन, और क्रिस सिलबर के सहयोग से बर्न लिक्टेनबर्ग और वोल्फगैंग बेकर ने लिखा था। इस फ़िल्म का परिवेश पूर्वी जर्मनी में आधारित है, जहाँ एक बेटा अपनी माँ को बर्लिन की दीवार गिरने के सदमे से बचाने की कोशिश करता है, क्योंकि उस घटना के वक़्त वो कोमा में थी। फ़िल्म का एक विषय ऑस्टेल्जी था, जो सबकुछ बदलने से पहले लोगों के ज़हन में आने वाली पूर्वी जर्मनी की बीते वक़्त की याद होती है। इस फ़िल्म ने यूरोपीय फ़िल्म पुरस्कारों और जर्मन फ़िल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का पुरस्कार और कई अन्य दर्ज़नों पुरस्कार और नॉमिनेशन जीते थे।
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लाइव एंड बिकम -
एलेन-मिशेल ब्लैंक और राडु मिहाइलेनू ने फ्रेंच ड्रामा "लाइव एंड बिकम" की पटकथा लिखी थी, जो 2005 में आज ही के दिन प्रीमियर हुई थी। यह फ़िल्म एक इथियोपियाई ईसाई लड़के के बारे में है, जो इज़राइल में रहने के लिए एक इथियोपियाई यहूदी होने का नाटक करता है। इस फ़िल्म ने फेस्टिवल सर्किट में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था, और इसे वैंकूवर फ़िल्म फेस्ट में अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म का ऑडियंस अवॉर्ड और टोरंटो फ़िल्म फेस्ट में पीपुल्स चॉइस का रनर अप पोजीशन मिला था। इसने सीज़र अवॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ मूल पटकथा और ल्यूमिरस अवॉर्ड्स में वर्ल्ड ऑडियंस अवॉर्ड भी जीता था।
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हेड-ऑन -
फ़ातिह अकिन ने जर्मन-तुर्की ड्रामा, "हेड-ऑन" लिखा और निर्देशित किया था, जो 2004 में इस दिन प्रीमियर हुई थी। फ़िल्म को अपना नाम कहानी की शुरुआत से मिलता है, जहाँ मुख्य किरदार जानबूझकर अपनी कार सीधे एक दीवार से टकरा देता है। यह एक नाटकीय प्रेम कहानी पर केंद्रित है, जिसे आलोचकों ने उन आप्रवासियों का उत्तेजक चित्रण कहा था, जो पारंपरिक और आधुनिक मूल्यों के बीच फंसे हुए हैं। "हेड-ऑन" ने 54वें बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म के लिए गोल्डन बेयर जीता था, साथ ही साथ यूरोपीय फ़िल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म और ऑडियंस अवॉर्ड भी पाया था।
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कैबरेट -
म्यूजिकल ड्रामा "कैबरेट" 1972 में आज ही के दिन प्रीमियर हुई थी, जिसे बहुत अच्छी समीक्षाएं मिली थी। जे प्रेसन एलन ने इस फ़िल्म की पटकथा लिखी थी, जो थोड़ी-बहुत इसी नाम के ब्रॉडवे म्यूजिकल पर आधारित थी। निर्देशक बॉब फॉसे को एलन की पटकथा पसंद नहीं आयी, इसलिए उन्होंने इसके निर्माण से ठीक पहले इसे संशोधित करने के लिए और इसे मूल कहानी पर ज़्यादा आधारित बनाने के लिए ह्यूग व्हीलर को काम पर रखा था। फ़िल्म के लिए व्हीलर को "शोध परामर्शदाता" के रूप में क्रेडिट दिया गया था। आख़िरकार, यह फ़िल्म ब्रॉडवे नाटक से काफी अलग थी, लेकिन फिर भी इसे बहुत सफलता मिली। समीक्षकों का कहना था कि यह पारंपरिक म्यूजिकल फ़िल्मों से हटकर थी। आगे चलकर एकेडमी अवॉर्ड्स में इसे दस नॉमिनेशन मिले थे, जिसमें से इसने आठ जीते थे।
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पैराडाइस नाउ -
2005 की साइकोलॉजिकल ड्रामा "पैराडाइस नाउ" आज ही के दिन प्रीमियर हुई थी। इसे हैनी अबू-असद ने लिखा और निर्देशित किया था, और बेरो बेयर और पियरे हॉजसन ने इसका सह-लेखन किया था। यह पहली फिलिस्तीनी फ़िल्म थी, जिसे सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा की फ़िल्म के लिए एकेडमी अवॉर्ड्स में नॉमिनेट किया गया था। इसकी कहानी दो दोस्तों के बारे में है, जो आत्मघाती हमलावर हैं, और इज़राइल में हमले की तैयारी कर रहे हैं। अबू-असद ने कहा कि वो एक बेहद जटिल मुद्दे को मानवीय तरीके से पेश करना चाहते थे और उन्होंने यह भी बताया कि अगर वो नाज़रथ के बजाय फिलिस्तीनी क्षेत्रों में पले-बढ़े होते तो शायद वो भी एक आत्मघाती हमलावर होते। उन्होंने कहा कि उन्हें यह उम्मीद थी कि इस फ़िल्म से दर्शकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि फिलिस्तीनी लोग भी स्वतंत्रता और समानता के हक़दार हैं। इस फ़िल्म ने गोल्डन ग्लोब्स में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फ़िल्म की श्रेणी में और यूरोपीय फ़िल्म अवॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ पटकथा का पुरस्कार जीता था।
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द सेवंथ सील -
स्वीडिश फ़िल्मकार इंगमार बर्गमैन ने ऐतिहासिक फैंटसी फ़िल्म "द सेवंथ सील" लिखी और निर्देशित की थी, जो 1957 में आज ही के दिन आयी थी। इस फ़िल्म की कहानी बर्गमैन के नाटक "वुड पेंटिंग" पर आधारित है, जो एक योद्धा की कहानी है जो मौत के साथ शतरंज का खेल खेलता है। इस फ़िल्म ने बर्गमैन को प्रतिष्ठित निर्देशकों की श्रेणी में स्थान दिया था और अब इसे वर्ल्ड सिनेमा की बेहतरीन फ़िल्मों में से एक माना जाता है। कथित तौर पर, उन्होंने यह पटकथा अस्पताल में लिखी थी, जब उन्हें पेट की समस्या की वजह से वहां भर्ती किया गया था, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया था। 35-दिन की सख्त समय-सीमा, और $150,000 बजट के साथ फ़िल्म बनाने की हरी झंडी मिलने से पहले उन्होंने पांच और ड्राफ्ट लिखे थे। इसके बाइबिल सम्बन्धी विषयों की वजह से वेटिकन ने इस फ़िल्म को अपनी 45 सबसे अच्छी फ़िल्मों की सूची में शामिल किया था।
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ला रू -
1923 में "ला रू" आज ही के दिन आयी थी, जिसका फ्रेंच में मतलब होता है "द व्हील।" यह मूक फ़िल्म एबल गान्स ने लिखी, निर्देशित, और निर्मित की थी, जो फ़िल्म निर्माण के अग्रदूत थे और अपने संग्रथित चित्रों के प्रयोग के लिए मशहूर थे। अभूतपूर्व लाइटिंग प्रभावों और दृश्यों में तेजी से परिवर्तन का प्रयोग करने वाली, "ला रू," कोई अलग नहीं थी। इसकी कहानी एक रेलरोड इंजीनियर और उसके बेटे पर आधारित है, जिन्हें इंजीनियर की गोद ली हुई बेटी से प्यार हो जाता है। मूल फ़िल्म सात से नौ घंटे लम्बी थी, हालाँकि फ़िल्म की लम्बाई कम करने के लिए इसके कई संस्करण बनाये गए थे। 2019 में इसके सात घंटे के संस्करण को रिस्टोर करके ल्यूमियर फ़िल्म फेस्टिवल में चलाया गया था।
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द क्राउड -
1928 में आज के दिन "द क्राउड" का प्रीमियर हुआ। 1929 में पहले एकेडमी अवॉर्ड्स में इसे कई पुरस्कारों के लिए नॉमिनेट किया गया था और यह संयुक्त राज्य की राष्ट्रीय फ़िल्म रजिस्ट्री में संरक्षित की जाने वाली पहली फ़िल्मों में से एक थी। किंग विडोर ने यह मूक फ़िल्म लिखी और निर्देशित की थी, और इसे लिखने में जॉन वी.ए. वीवर ने उनकी मदद की थी। यह फ़िल्म न्यूयॉर्क शहर में घर बसाने की कोशिश करने वाले एक साधारण दंपत्ति की उम्मीदों और सपनों के बारे में है। स्टूडियो के कर्मचारियों को इस फ़िल्म का विषय बहुत बेरंग लगा और उन्होंने विडोर को कई अलग-अलग अंत डालने के लिए मजबूर किया। उस समय थिएटर यह चुन सकते थे कि वो कौन सा संस्करण दिखाना चाहते हैं, लेकिन विडोर ने कहा कि वो शायद ही कभी अच्छा अंत दिखाने का चुनाव करते थे।
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थिंग्स टू कम -
एच. जी. वेल्स ने "थिंग्स टू कम" की पटकथा लिखी थी, जो 1936 में आज ही के दिन प्रीमियर हुई थी। इस ब्लैक एंड वाइट साइंस फिक्शन फ़िल्म की कहानी दूसरे विश्व युद्ध के बाद, 1940 से 2036 तक, भविष्य में आधारित है, हालाँकि, वेल्स की पटकथा वर्ष A.D. 2054 में ख़त्म हुई थी। उनकी पटकथा सामाजिक और राजनीतिक "संभावनाओं" के बारे में उनके पिछले कई कामों पर आधारित थी। इस फ़िल्म की अलग-अलग लम्बाइयों वाले कई संस्करण थे, लेकिन मूल फ़िल्म के सारांश और पटकथा को बाद में एक किताब के रूप में प्रकाशित किया गया ताकि दर्शक इसका अखंडित संस्करण पढ़ सकें।
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इट हैपेंड वन नाईट -
रॉबर्ट रिसकिन ने रोमांटिक कॉमेडी फ़िल्म "इट हैपेंड वन नाईट" की पटकथा लिखी थी, जो 1934 में आज ही के दिन प्रीमियर हुई थी। इसकी कहानी एक अमीर लड़की पर आधारित है जो एक आदमी की मदद से अपने परिवार से भागने की कोशिश करती है, जो किसी अख़बार का पत्रकार होता है और किसी कहानी की तलाश में है। यह फ़िल्म हेस कोड लागू होने से पहले बनाई गयी आख़िरी रोमांटिक कॉमेडी फ़िल्मों में से एक थी, जो उन कहानियों में बहुत ज़्यादा काट-छांट करता था, जिसे मोशन पिक्चर के निर्माता और अमेरिका के वितरक अस्वीकार्य और नैतिक रूप से संदेहयुक्त समझते थे। यह सभी पांच प्रमुख अकादमी पुरस्कार जीतने वाली केवल तीन फ़िल्मों में से एक है, जिसमें सर्वश्रेष्ठ पिक्चर, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री, और सर्वश्रेष्ठ अनुकूलित पटकथा शामिल है, और ऐसा करने वाली यह पहली फ़िल्म थी।
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42nd स्ट्रीट -
रियान जेम्स और जेम्स सेमोर द्वारा लिखी गयी बैकस्टेज म्यूजिकल "42nd स्ट्रीट" 1933 में आज ही के दिन प्रीमियर हुई थी, जिसके लिए संगीत और गीत के बोल हैरी वॉरेन और अल दुबिन ने लिखे थे। अमेरिकी फ़िल्म संस्थान ने इसे आज तक की सबसे अच्छी म्यूजिकल फ़िल्मों में शुमार किया है। इस फ़िल्म को बैकस्टेज म्यूजिकल इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसमें एक स्टेज शो के पीछे के दृश्यों को प्रदर्शित किया जाता है, जिसमें बीच-बीच में गाने आते हैं। "42nd स्ट्रीट" एक अभिनेत्री की कहानी पर आधारित है, जिसे चोट लग जाती है और उसकी जगह एक बेनाम अभिनेत्री को काम पर रख लिया जाता है, जो बाद में शो की जान बन जाती है। हालाँकि, इस फ़िल्म को कोई जीत नहीं मिली, लेकिन इसे एकेडमी अवॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ पिक्चर के लिए नॉमिनेट किया गया था।
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द लेडी ईव -
प्रेस्टन स्टर्जस द्वारा लिखित और निर्देशित स्क्रूबॉल कॉमेडी "द लेडी ईव" 1941 में आज ही के दिन आयी थी। यह फ़िल्म मॉन्कटॉन हॉफ द्वारा लिखी गयी एक विचित्र जोड़ी के बारे में 19 पेज की कहानी पर आधारित है, जो एक समुद्री जहाज़ पर मिलते हैं। शुरुआत में, पटकथा को लेकर फ़िल्म के निर्माता के साथ स्टर्जस की कुछ असहमति हो गयी थी, जिसने स्टर्जस से कहा था कि पटकथा के पहले दो तिहाई हिस्से को दोबारा लिखना पड़ेगा। लेकिन स्टर्जस ने उनकी बात नहीं मानी, और निर्माता को नरम होना पड़ा। बाद में, हेस ऑफिस सेंसर ने स्टर्जस को पटकथा के कुछ हिस्सों को दोबारा लिखने के लिए कहा, क्योंकि ऑफिस के अनुसार दोनों मुख्य किरदारों के बीच की प्रेम कहानी में नैतिक मूल्यों की कमी थी।
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द कैबिनेट ऑफ़ डॉ. कैलगरी -
जर्मन मूक हॉरर फ़िल्म "द कैबिनेट ऑफ़ डॉ. कैलगरी" पटकथा लेखकों कार्ल मेयर और हांस जानोविट्ज़ के असली जीवन के अनुभवों से प्रेरित थी, जो 1920 में आज ही के दिन प्रीमियर हुई थी। इसकी कहानी एक सम्मोहनकर्ता के इर्द-गिर्द घूमती है, जो हत्याएं करने के लिए नींद में चलने वाले एक व्यक्ति का इस्तेमाल करता है। फिर भी, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी कहानी जर्मन युद्ध सरकार और सैनिकों को लोगों को मारने के लिए तैयार करने की उनकी क्षमता का प्रतीक है। पहले विश्व युद्ध के बाद दोनों लेखकों का प्राधिकरण से भरोसा उठ गया था। उन्होंने केवल छह हफ्ते में पटकथा पूरी की थी, हालाँकि, उनमें से किसी को फ़िल्म उद्योग का अनुभव नहीं था। फ़िल्म की पृष्ठभूमियां तेज़ लेकिन मोड़ वाले रूपों को प्रदर्शित करती हैं, और इसे जर्मन अभिव्यक्तिवादी सिनेमा का एक आदर्श उदाहरण माना जाता है। इतिहासकारों का कहना है कि यह फ़िल्म पहली सच्ची हॉरर फ़िल्म है, और इसके बाद की हॉरर और फ़िल्म नोयर शैलियों पर इसका काफी असर पड़ा।