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ब्लू कॉलर -
"ब्लू कॉलर" की पटकथा पॉल श्रेडर और उनके भाई लियोनार्ड ने लिखी थी, जो ’78 में आज ही के दिन आयी थी। इस फ़िल्म से पॉल ने अपने निर्देशन करियर की शुरुआत की थी। यह क्राइम ड्रामा तीन ऑटो कर्मचारियों पर आधारित है जो अपने ही संघ कार्यालय में लूट की साज़िश करते हैं और यह फ़िल्म संघों की बड़ी आलोचक है और रस्ट बेल्ट में श्रमिक वर्ग के सदस्य का जीवन दिखाती है।
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स्टेजकोच -
पटकथा लेखक डडली निकोल्स ने पश्चिमी "स्टेजकोच" को अर्नेस्ट हेकॉक्स की "द स्टेज टू लॉर्ड्सबर्ग" नामक एक छोटी कहानी से रूपांतरित किया था। निर्देशक जॉन फोर्ड ने कोलियर मैगज़ीन में इसे पढ़ने के बाद इस छोटी कहानी का अधिकार ख़रीदा था, लेकिन उन्होंने बताया कि वो गाए डे मौपसा की एक छोटी कहानी “बुल दे सुफ” के घटकों से भी प्रेरित थे। यह फ़िल्म एक ख़तरनाक इलाके से गुजरती हुई किराये की गाड़ी की सवारी कर रहे अजनबियों के एक समूह पर आधारित है। इसे राष्ट्रीय फिल्म रजिस्ट्री में संरक्षण के लिए चुना गया था, लेकिन अमेरिका के मूल निवासियों के नकारात्मक चित्रण के लिए इसकी आलोचना भी की गयी है।
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8½ -
“8 1/2” 1963 में आज के दिन ही आयी थी। सबसे पहले फेडेरिको फेलिनी ने इस इटैलियन फ़िल्म की रूपरेखा तैयार की थी और इसे फेलिनी, टुलियो पिनेली, एनियो फ्लैियानो, ब्रुनेलो रोंडी द्वारा लिखा गया था, और इसे उस साल की सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा की फ़िल्म और सर्वश्रेष्ठ कॉस्टयूम डिज़ाइन का ऑस्कर पुरस्कार भी दिया गया था। यह कहानी एक निर्देशक के बारे में है जो रचनात्मक अवरोधों से गुजरता है और उन्हें पार करने की कोशिश करता है। यह कहानी असली जीवन से प्रेरित है, जहाँ फेलिनी ने लगभग इस परियोजना को छोड़ दिया था क्योंकि उन्हें लगा कि उन्होंने अपनी फ़िल्म "खो दी है," लेकिन बाद में उन्हें अपने मुख्य पात्र को फ़िल्म निर्देशक बनाने का आईडिया आया। उससे पहले तक, उन्हें यह नहीं समझ आ रहा था कि उनका मुख्य चरित्र किस तरह का रचनात्मक व्यक्ति होगा।
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द साइलेंस ऑफ़ द लैम्ब्स -
"द साइलेंस ऑफ़ द लैम्ब्स" फ़िल्म बनाने के लिए टेड टैली ने थॉमस हैरिस के इसी नाम के उपन्यास को रूपांतरित किया था। यह 1991 में वैलेंटाइन्स डे वाले दिन आयी थी और धीरे-धीरे इसने बहुत बड़ी सफलता और प्रशंसा हासिल की। टैली ने बताया कि वो यह देखकर हैरान रह गए थे कि निर्देशक जोनाथन डेमी के पटकथा पढ़ने के बाद फ़िल्म का निर्माण कितनी तेज़ी से शुरू हो गया था। उन्होंने कहा, "हम 1989 के मई महीने में मिले और नवम्बर में शूटिंग शुरू हो गयी। मुझे कोई ज़्यादा बड़े बदलाव नहीं करने पड़े।"
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द बिग लैबोस्की -
"द डूड" फ़िल्म समीक्षकों के बीच हमेशा से उतनी लोकप्रिय नहीं थी जितनी कि यह आज है। 1998 में आज ही के दिन आयी क्राइम कॉमेडी "द बिग लैबोस्की" लिखते समय एथन और जोएल कोएन डिटेक्टिव फिक्शन के लेखक रेमंड चांडलर से प्रेरित थे। इस फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया लेकिन तबसे इसका एक अलग प्रशंसक वर्ग बन गया है और इसने 2020 में आने वाली जॉन टर्टुरो की "द जीसस रोल्स" नामक एक स्पिनऑफ को प्रेरित किया गया है, जो इस महीने रिलीज़ होने वाली है।
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ला जेटी -
"ला जेटी," या अंग्रेज़ी में "द जेटी" एक फ्रेंच साइंस फिक्शन शॉर्ट फ़िल्म है, जिसे क्रिस मार्कर द्वारा बनाया गया है। 28 मिनट लंबी इस फ़िल्म को स्थिर तस्वीरों से बनाया गया है और यह टाइम ट्रेवल में परमाणु युद्ध के बाद के प्रयोग पर आधारित है। इस फ़िल्म में कोई संवाद नहीं है बल्कि, इसकी व्याख्या की गयी है। बाद में, फ़िल्मकारों ने अपनी परियोजनाओं में इस फ़िल्म को प्रेरणा बताया, जिनमें टेरी गिलियम की फ़िल्म "12 मंकी," डेविड बॉवी का वीडियो "जंप दे से," और 2007 की मैक्सिकन फिल्म "ईयर ऑफ़ द नेल" शामिल है।
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लुइस बैनुएल -
120 साल पहले आज ही के दिन स्पेनिश फ़िल्मकार लुइस बैनुएल का जन्म हुआ था। बैनुएल के काम को काव्यात्मक कहा गया है और आम तौर पर इसे 20 के दशक के अतियथार्थवादी आंदोलन से जोड़ा जाता है, हालाँकि उन्होंने अपने पूरे करियर के दौरान प्रयोग किया। फ़िल्म निर्माताओं का कहना है कि आप बैनुएल की फ़िल्म को हमेशा पहचान सकते हैं। उन्हें बिल्कुल सटीक होने, अपने शॉट्स और संपादन की पहले से योजना बनाने के लिए जाना जाता था, ताकि कोई भी शॉट कभी बेकार न हो, और फ़िल्म शूट करने में लगने वाला समय कम से कम हो। साइट एंड साउंड की आज तक की टॉप 250 फ़िल्मों की सूची में बैनुएल की सात फ़िल्में शामिल हैं।
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मॉडर्न टाइम्स -
चार्ली चैपलिन ने अपनी फ़िल्म "मॉर्डन टाइम्स" में आख़िरी बार अपना "लिटिल ट्रैम्प" का किरदार निभाया था, जिसे 1936 में आज ही के दिन रिलीज़ किया गया था। चैपलिन ने इस कॉमेडी फ़िल्म को ख़ुद लिखा और निर्देशित किया था, जो शुरुआत में उनकी पहली "बोलती हुई" फ़िल्म होने वाली थी। यहाँ तक कि उन्होंने पटकथा के संवाद भी लिख लिए थे और आवाज़ वाले कुछ दृश्यों का फिल्मांकन भी कर लिया था, लेकिन अंत में उन्होंने ज़्यादातर संवाद हटाने का फ़ैसला किया और एक मूक फ़िल्म बनाने का चुनाव किया। उन्होंने कहा उन्हें ऐसा लगता था कि अगर "लिटिल ट्रैम्प" कभी भी बोलेगा तो उसका आकर्षण खो जायेगा।