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एक पूरी तरह से स्वरूपित पारंपरिक स्क्रिप्ट निर्यात करें।
किसी-किसी दिन आपके अंदर प्रेरणा की आग जलती है – आप पन्ने पर पन्ने भरे जाते हैं, और आपके दिमाग में न जाने कहाँ-कहाँ से शानदार संवादों के आईडिया आते रहते हैं। और कभी-कभी ऐसा होता है कि आपकी आँखों के सामने खाली पन्ने पड़े रहते हैं और ऐसे ही खाली पड़े रह जाते हैं। अगर ज़रुरत पड़ने पर आपके आसपास आपको प्रोत्साहित करने के लिए कोई मौजूद नहीं है तो अपने आपको पटकथा लेखन की उदासी के बादलों से बाहर निकालने के लिए पटकथा लेखन गुरु लिंडा एरोनसन के इन तीन उपायों को बुकमार्क करने के बारे में सोचें।
एरोनसन एक मशहूर पटकथा लेखिका, उपन्यासकार, नाटककार, एवं मल्टीवर्स और अरेखीय संरचना वाली कहानियों की प्रशिक्षक हैं, जो दुनिया भर में घूमती हैं, और लेखकों को इस व्यवसाय से जुड़े उपाय बताती हैं। वह लेखकों में पैटर्न देखती हैं, और यहाँ वो आपको आश्वस्त करती हैं कि आप ऐसे अकेले इंसान नहीं हैं जिसे लिखने के बुरे दिनों से गुजरना पड़ता है।
एक पूरी तरह से स्वरूपित पारंपरिक स्क्रिप्ट निर्यात करें।
एरोनसन ने हमें बताया कि, "अगर मुझे पटकथा लेखकों को कोई सलाह देनी हो तो सबसे पहली चीज़ मैं कहूँगी कि अटकना बहुत सामान्य बात है। कभी-कभी आगे बढ़ने में एक मिनट लगता है। और कभी-कभी महीनों लग जाते हैं। अगर आपके साथ ये होता है तो ऐसा नहीं है कि आप बुरे लेखक हैं। बल्कि, आपके अंदर का लेखक आपको बताता है कि कुछ गलत है।"
अगर आप अपनी पटकथा में कहीं अटक गए हैं तो ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि आपकी पटकथा में कहीं कोई चीज़ गड़बड़ है। पूरी कहानी को एक साथ देखें, और सोचें कि इसमें कुछ बदलाव करने की ज़रुरत है या नहीं। या, अपने परिवेश पर एक नज़र डालें - क्या कोई चीज़ आपका ध्यान भटका रही है, या आपको कम उत्पादक बना रही है? आम तौर पर, आप किसी दूसरी चीज़ की वजह से अटक जाते हैं जिसे ठीक करने की ज़रुरत होती है।
"दूसरी बात, अगर यह आपको मुश्किल लग रहा है तो ऐसा इसलिए क्योंकि यह मुश्किल है। ऐसा आपकी वजह से नहीं है," एरोनसन सलाह देती हैं। "कभी-कभी, इसका बस यह मतलब हो सकता है कि आप बहुत ज़्यादा सोच-विचार किये बिना लिख रहे हैं।"
क्या आपको लिखने में मुश्किल आ रही है, और ये लग रहा है कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि आपके पास प्रतिभा और कौशलों की कमी है? शायद ऐसा नहीं है। लिखना शुरू करने से पहले ठोस रूपरेखा तैयार करना न भूलें। पटकथा लेखन तब भी मुश्किल होगा, लेकिन उस समय दबाव पड़ने पर आप इसकी वजह से टूटने के बजाय हीरे में बदल सकते हैं।
एरोनसन ने बताया, "तीसरा तरीका है कि ख़ुद को उस संकट वाली परिस्थिति में डालने का अभ्यास करें। अगर आप घबराहट में जवाब लिखने या देने की कोशिश करते हैं तो आप अपने दिमाग में बसी यादों में जाते हैं, और चलन से बाहर की चीज़ें निकालकर लाते हैं। घबराहट महसूस करें, इसे जानें, कुछ सेकंड तक इसमें रहें, और इसके बाद अपने दिमाग के कहानी कहने वाले हिस्से में जाना शुरू करें, जो हर तरफ़ से विचार-मंथन करने में, सभी तरह के आईडिया के बारे में सोचने में, और इसके बाद सबसे अच्छा आईडिया दिमाग से बाहर लाने में आपकी मदद करेगा।"
आपने सही सुना। घबराने में कोई बुराई नहीं है! लेकिन आपके पास इससे बाहर निकलने की योजना भी होनी चाहिए। पेशेवर पटकथा लेखक मुश्किल परिस्थितियों और समय की कमी के दौरान भी लिखने में माहिर होते हैं, आप भी ऐसा कर सकते हैं। ऐसे समय के लिए ख़ुद को तैयार करके, लिखते समय अटकने से बचने का अभ्यास करें। टाइमर लगाएं और जबर्दस्ती लिखें। आपकी कहानी कहने और विचार-मंथन करने वाली मांसपेशी, दूसरी मांसपेशियों की तरह ही होती है, इसे इस्तेमाल करें, नहीं तो ये खराब हो जाएगी।
अपने लिखने के कौशलों को लेकर आपके मन में जो भी भावना है ऊपर काबू पाएं, और जब कभी भी आप ख़ुद को हारा हुआ महसूस करते हैं तो यह जानने की कोशिश करें कि इसका कोई न कोई समाधान ज़रुर मौजूद होगा। हर लेखक पटकथा लेखन से जुड़ी हताशाओं से गुजरता है, लेकिन उनमें से जो सबसे अच्छे होते हैं वो किसी भी तरह अपनी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए ख़ुद को सभी कौशलों के साथ तैयार रखते हैं!
हार न मानें,