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पर प्रविष्ट किया लेखक कर्टनी मेजरनिच

स्क्रिप्ट कोऑर्डिनेटर की ज़िन्दगी का एक दिन

टेलीविज़न लेखक बनने के सफर में आपको कई बार रुकना होगा, ख़ासकर लिखने से जुड़ी नौकरियां करने के लिए। कोई भी टीवी शो बनाने के लिए ये रोज़गार बहुत मायने रखते हैं, लेकिन आप उनके बारे में बहुत कम सुनते हैं। टेलीविज़न शो पर ऐसा ही एक ज़रूरी रोज़गार है, स्क्रिप्ट कोऑर्डिनेटर का, और अगर आप इस काम में अच्छे हैं तो टीवी के इस सुनहरे दौर में आपकी ज़रूरत है।

स्क्रिप्ट कोऑर्डिनेटर के काम के बारे में आपको ऑनलाइन बहुत कम जानकारी मिलेगी, और शायद ही कभी आपको उनका कोई इंटरव्यू देखने को मिलेगा। अक्सर उन्हें शोहरत हासिल नहीं होती। लेकिन, जब आप स्क्रिप्ट कोऑर्डिनेटर मार्क गैफेन को अपने काम के बारे में बताते हुए सुनते हैं तो आप सोचेंगे कि ऐसा क्यों होता है! मुझे नहीं पता उनके बिना कोई टेलीविज़न शो कैसे काम कर सकता है।

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स्क्रिप्ट कोऑर्डिनेटर का काम है स्क्रिप्ट के ड्राफ्ट मैनेज करना, इस बात का ध्यान रखना कि सभी बदलावों को शामिल किया जाए, उन लोगों को स्क्रिप्ट देना जिन्हें इसे देखने की ज़रूरत है और सभी एपिसोड और सीज़न में निरंतरता बनाये रखना। लेकिन इस परिभाषा को शायद कुछ ज़्यादा ही सरल बना दिया है।

मार्क ने पिछले दो दशकों में "लॉस्ट," "ग्रिम," "न्यू एम्स्टर्डम," सहित ऐसे ही और बहुत सारे शोज़ पर काम किया है। हम जानना चाहते थे कि उनकी ज़िन्दगी का एक दिन कैसा होता है? 

उनका जवाब? वो उस दिन पर निर्भर करता है।

स्क्रिप्ट कोऑर्डिनेटर का शेड्यूल क्या है?

लेखन या टीवी निर्माण की बात आने पर कोई तय शेड्यूल नहीं होता। हमें आम तौर पर हर दिन लगभग 12 घंटे काम करना पड़ता है।

फ़िल्म बिज़नेस में एक पुरानी कहावत है, "आपको इंतज़ार करने के पैसे मिलते हैं, और आप मज़े के लिए काम करते हैं," क्योंकि इस बिज़नेस में पहले आपको पटकथाओं का इंतज़ार करना पड़ता है, फिर शूटिंग होने का इंतज़ार करना पड़ता है, उसके बाद कलाकारों के आने का इंतज़ार करना पड़ता है, और फिर स्पेशल इफेक्ट्स के लिए फिज़िकल इफेक्ट्स तैयार होने का इंतज़ार करना पड़ता है। यानी, इसमें बहुत सारा इंतज़ार शामिल है।

आप इस चीज़ के लिए कोई शेड्यूल नहीं बना सकते कि कोई लेखक कितनी देर तक लिखता है या प्रेरणा आने में कितना वक़्त लगता है। आप स्क्रिप्ट मिलते ही चीज़ें पूरी करने का इंतज़ार करते हैं। आम तौर पर, पटकथा को देखने में दो से तीन घंटे का समय लगता है, जहाँ आप इसकी निरंतरता की जांच करते हैं, स्पेलिंग और व्याकरण की जांच करते हैं, इस बात की जांच करते हैं कि कहानी समझ में आये। हो सकता है कि लेखक के दिमाग में जो आईडिया था, वो लोगों तक ठीक से नहीं पहुंच पा रहा है, इसलिए आप लेखक को बताते हैं, "आप चाहते हैं कि बॉब रूम में आये और मेलिसा से मिले, लेकिन ऐसा लगता है जैसे बॉब और मेलिसा अलग-अलग रूम में हैं और असल में वो कभी नहीं मिलते।" आप लेखक को कहेंगे, "आपको इसे थोड़ा और स्ट्रीमलाइन करने की ज़रूरत है ताकि आपका आईडिया अच्छे से बाहर निकलकर आ सके।"

मुझे रात के 10 बजे, सुबह के 2 बजे, सुबह के 10 बजे भी स्क्रिप्ट मिले हैं। ये सब बस इस बात पर निर्भर करता है कि उस चीज़ को कितनी जल्दी शूट करना है, जिसपर आप काम कर रहे हैं। अगर कोई चीज़ अगले दिन शूट होने वाली है तो आपको यह चाहे जब भी मिले, आपको सब छोड़कर इसपर काम शुरू करना होगा। अगर कोई चीज़ बस ड्राफ्ट है जो स्टूडियो या नेटवर्क में जाती है या दूसरे लेखकों के पास जाती है, तो आपके पास थोड़ी छूट होती है। तो, आप आम तौर पर इसे अगले बिज़नेस डे पर पूरा कर सकते हैं।

आप 24-7 फोन पर रहते हैं, और ख़ासकर टीवी में, क्योंकि आपको बस एक एपिसोड पर काम नहीं करना होता।

स्क्रिप्ट कोऑर्डिनेटर मार्क गैफेन (MG)

क्या स्क्रिप्ट कोऑर्डिनेटर की भूमिका हमेशा एक जैसी होती है?

हर शो के साथ स्क्रिप्ट कोऑर्डिनेटर का काम बदल जाता है क्योंकि हर शो अलग होता है।

मार्क गैफेन

हर शो के साथ तीन मुख्य चीज़ें बदल जाएंगी और उनके साथ स्क्रिप्ट कोऑर्डिनेटर का काम भी बदल जायेगा: शो की लंबाई, राइटर्स रूम का प्रकार, और शो किस बारे में है।

शो की लंबाई

जैसे अभी, मैं एक नेटवर्क के मेडिकल शो पर हूँ जो 22 एपिसोड का है... लेकिन अब बहुत सारे शो आठ, दस, बारह एपिसोड के बन रहे हैं। मैं "हियर एंड नाउ" या "मेयर ऑफ़ ईस्टटाउन" जैसे HBO के बहुत सारे शोज़ में भी हूँ और नेटवर्क शोज़ और दूसरे सामान्य शोज़ की तुलना में उन शोज़ का शेड्यूल थोड़ा अलग होता है। उनमें शोरनर और लेखक कहानियां सोचते हैं, और वो सब एक ब्लॉक के रूप में एक साथ स्क्रिप्ट लिखते हैं। जब सारे स्क्रिप्ट पूरे हो जाते हैं, और वो ब्लॉक पूरा हो जाता है, तब वो आगे बढ़ते हैं, और वो सारे एपिसोड एक ब्लॉक में एक साथ शूट करते हैं, जिससे वो क्रॉस-बोर्ड कर सकते हैं, यानी वो एक ही जगह पर अलग-अलग एपिसोड शूट करके पैसे बचा सकते हैं।

और तब शूटिंग करते वक़्त स्क्रिप्ट के इन-चार्ज और शोरनर के राइटहैंड के रूप में स्क्रिप्ट कोऑर्डिनेटर की ज़रूरत पड़ती है, क्योंकि उस समय निर्माण, लोकेशन, या दूसरी परेशानियों की वजह से बहुत सारी चीज़ें बदलने की ज़रूरत पड़ती है। कोविड बहुत बड़ी समस्या थी और उस वक़्त हमें कई ड्राफ्ट और बदलावों की ज़रूरत पड़ती थी ताकि हम सही से फ़िल्म बना पाएं।

आम तौर पर, स्क्रिप्ट कोऑर्डिनेटर को लाने के बाद वो पूरी शूटिंग प्रक्रिया के दौरान काम करता है, जबकि लेखक के सहायक का काम मूल रूप से विकास की प्रक्रिया के दौरान ही होता है, लेकिन फिर निर्माण की प्रक्रिया के दौरान वो शो छोड़ देता है।

तो, राइटर्स रूम ऐसे काम करता है ["न्यू एम्स्टर्डम" के लिए] कि बोर्ड पर एपिसोड के बारे में कोई और सोचता है, एपिसोड पर प्री-प्रोडक्शन में कोई और होता है। और एक एपिसोड पर प्री-प्रोडक्शन में आम तौर पर सात दिन तैयारी में लगते हैं, और आपके पास आठ दिनों की शूटिंग और लगभग दो से तीन सप्ताह के पोस्ट-प्रोडक्शन का समय होता है। यह सामान्य टाइमलाइन है।

एक दिन में, शो एक स्टोरी एरिया भेजता है, जो आम तौर पर स्टूडियो नेटवर्क की अनुमति पाने के लिए स्क्रिप्ट के बारे में दो पेज का सारांश होता है। उसी समय, आप एक और एपिसोड कर रहे होते हैं जो एक आउटलाइन पर होता है। और फिर आम तौर पर एक तीसरा एपिसोड होता है जो किसी दूसरे आउटलाइन संस्करण पर होता है। साथ ही, आपके पास एक ऐसी स्क्रिप्ट होती है जो लेखक का पहला ड्राफ्ट होती है। उसी समय, आपके पास एक और स्क्रिप्ट होती है जिसका शूट चल रहा है, और आपके पास दो और स्क्रिप्ट होते हैं जो पोस्ट-प्रोडक्शन में होते हैं। तो, मूल रूप से आपके पास एक ही समय पर अलग-अलग ड्राफ्ट में आठ से दस स्क्रिप्ट होते हैं जिनका आपको हिसाब रखना होता है।

उसी समय के दौरान, आपके पास उन स्क्रिप्ट के अलग-अलग संशोधन होते हैं जिनकी शूटिंग चल रही है। तो, अलग-अलग संशोधन आम तौर पर सफ़ेद, नीले, गुलाबी, पीले और हरे होते हैं। वो रंगीन संशोधन इसलिए होते हैं ताकि लोगों को उनके बीच का अंतर पता चल सके। … इसलिए, बहुत सारी चीज़ें एक साथ करनी पड़ती हैं। अगर इस काम को करने वाला कोई नहीं होता तो पेज गायब हो जाते हैं, चीज़ें गायब हो जाती हैं, शो की निरंतरता ख़राब हो जाती है क्योंकि हो सकता है कि किसी एपिसोड में कोई ज़रूरी चीज़ हो, जैसे, किसी के पास बम वाला बैग है, और फिर अचानक निर्माण की समस्याओं की वजह से, वो बम वाला बैग बम वाला सूटकेस बन जाता है। और आपको इस बात का ध्यान रखना पड़ता है निरंतरता सही तरीके से जारी रहे। अब, ये दिखने में छोटी चीज़ लग सकती है, लेकिन कभी-कभी ये चीज़ें रह जाती हैं क्योंकि लोगों का ध्यान इनपर से हट जाता है।

इसलिए एक स्क्रिप्ट कोऑर्डिनेटर के रूप में मेरा काम है कि मैं स्क्रिप्ट की सारी चीज़ों को व्यवस्थित रखूं – जिस चीज़ की शूटिंग हो रही है उससे लेकर जो प्री-प्रोडक्शन में है उस तक, और साथ ही जिसका अभी निर्माण चल रहा है वो भी। 

मार्क गैफेन

राइटर्स रूम के प्रकार

["न्यू एम्स्टर्डम" पर], राइटर्स रूम ऐसे काम करता है कि वो हर एक स्क्रिप्ट पर एक साथ मिलकर काम करते हैं, इसलिए हर लेखक एक साथ काम कर रहा होता है। उसके बाद, मूल रूप से, वो उन दृश्यों को मेरे पास भेजते हैं, और मैं उन दृश्यों को एक स्क्रिप्ट में संकलित करता हूँ जिसमें एक प्रारंभ, मध्यम, और अंत होता है।

"ग्रिम" जैसे दूसरे शोज़ काफी हद तक एक लेखक पर केंद्रित हैं। लेखक शोरनर के सामने आईडिया पेश करता है। शोरनर इसकी अनुमति देता है और इसपर काम करता है। और फिर उस लेखक को स्क्रिप्ट लिखने के लिए लगभग दो हफ्ते मिलते हैं, दो हफ्ते भी तब जब वो भाग्यशाली होता है। और फिर स्क्रिप्ट पूरी करने के बाद वो इसे मेरे पास भेजते हैं। फिर मैं इसे एडिट करने के लिए शोरनर के साथ काम करता हूँ और सारी प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए इसे शूटिंग तक पहुंचाता हूँ।

मार्क गैफेन

शो किस बारे में है

"न्यू एम्स्टर्डम," चूँकि यह बस एक बेसिक मेडिकल शो है, इसलिए इसमें किरदारों को छोड़कर बहुत सारी पौराणिक कहानियों या निरंतरता का हिसाब नहीं रखना पड़ता।

अब "ग्रिम" जैसे शो, पौराणिक कहानियों पर बहुत ज़्यादा केंद्रित हैं। या, मैंने "द इवेंट" नाम के एक शो में काम किया था, जो "लॉस्ट" जैसा था, जो अलग-अलग टाइमलाइन के साथ, पौराणिक कहानियों से भरपूर था। "द इवेंट" या "ग्रिम" जैसे शो के लिए, मैं "ग्रिम" में इस्तेमाल किए गए सभी राक्षसों का ट्रैक रखने के लिए एक्सेल स्प्रेडशीट बनाकर काम करता था और इस बात का ध्यान रखता था कि जो विदेशी भाषा हमने बनाई है वो लोगों को समझ आये।

"द इवेंट" पर, जो बहुत ज़्यादा टाइमलाइन पर आधारित था, मैंने उन वर्षों, उन दिनों की एक्सेल स्प्रेडशीट टाइमलाइन बनाई थी, जिनका हमने उपयोग किया था, क्योंकि इसमें बहुत सारे फ्लैशबैक थे, इसलिए आपको इस बात का ध्यान रखना पड़ता है कि अगर कोई इंसान 5 अगस्त, 1995 में वापस जाता है तो हमने उस इंसान के लिए उसी तिथि को पहले इस्तेमाल न किया हो, या वो इंसान तब रूस में न हो जबकि उसे अमेरिका में होना चाहिए, नहीं तो इसका मतलब नहीं बनता।

वो दोनों शोज़ बहुत ज़्यादा पौराणिक कहानियों पर आधारित थे और जहाँ तक स्क्रिप्ट कोआर्डिनेट करने की बात आती है तो इसमें बहुत ज़्यादा काम था।

मार्क गैफेन

स्क्रिप्ट कोऑर्डिनेटर के लिए किन कौशलों की ज़रूरत होती है?

यह काफी मज़ेदार है क्योंकि मैं पहले कभी भी बारीकियों पर गौर करने वाला इंसान नहीं था। मैंने यह चीज़ काम करते हुए सीखी है।

राइटर्स रूम या इस बिज़नेस में किसी के लिए भी सबसे बेसिक कौशल है कि यह एक व्यक्तित्व पर आधारित व्यवसाय है। आपको उन लोगों के साथ तालमेल बिठाना आना चाहिए जिनके साथ आप काम करते हैं और जिन लोगों के साथ आप काम करते हैं उनका विश्वास भी पाने में भी सक्षम होना चाहिए। एक तरह से यह सब व्यक्तित्व पर आधारित होता है।

और आपको बस यह देखना आना चाहिए कि सब कुछ एक साथ कैसे आता है। अगर कोई स्क्रिप्ट पढ़ने पर मैं देखता हूँ कि किरदार के पास कोई प्रॉप है और वो भाग रहा है और कूद रहा है और अपने संवाद बोलने वाला है तो मुझे यह अच्छे से समझना होगा कि निर्माण में वो सब कैसे लागू होगा ताकि मैं यह कहकर स्पष्टता, निरंतरता ला सकूँ कि "ओह, तो यह इंसान बिल्डिंग A से बिल्डिंग B में कूदने जा रहा है तो जब वो बिल्डिंग B में होता है तो इसमें थोड़ी निरंतरता होनी ज़रूरी है ताकि इस बात का ध्यान रखा जा सके कि यह सब एक ही जगह जैसा लगे और इसमें एक ही एक्शन और एक ही दृश्य हेडिंग रहे।"

आपको कहानी सुनना पसंद होना चाहिए और आपको कहानी कहने की कला के मूलभूत तत्वों का पता होना चाहिए ताकि यह पता चल सके कि सबकुछ पढ़ने में अच्छा है। अगर आपको कहानी कहने की कला पसंद है और आप उस कहानी को बनाने में लगने वाले गणित को देख सकते हैं जिसे आप देखना चाहते हैं तो बारीकी पर ध्यान देना काफी आसान हो जाता है क्योंकि आप इसका गणित समझते हैं। आप समझते हैं कि A + B = C होगा।

यह एक तरह से उन लोगों के लिए है जो इसे लेकर असली जुनून रखते हैं, फिर आप इसे बहुत आसानी से कर पाएंगे।

मार्क गैफेन

ज़रूर, मार्क, काफी आसान लगता है!

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